Subhash Ghai: “बॉलीवुड की मौजूदा स्थिति पर सुभाष घई का बयान: ‘आजकल स्क्रिप्ट और डायलॉग Whatsapp  पर ही तैयार हो रहे हैं'”

Subhash Ghai: ने सिनेमा में घटते जुनून पर अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि आज के दौर में फिल्म निर्माण अब एक रचनात्मक प्रक्रिया नहीं रहा, बल्कि केवल एक नौकरी बन गया है।

Subhash Ghai : “सिनेमा का घटता जुनून: सुभाष घई की चिंता”

80 और 90 के दशक में “खलनायक” और “परदेस” जैसी यादगार फिल्मों के निर्देशक सुभाष घई ने हिंदी फिल्म उद्योग की मौजूदा स्थिति को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि सिनेमा के प्रति जुनून अब पहले जैसा नहीं रहा। उनके अनुसार, फिल्म निर्माण एक समय में रचनात्मकता और कला का प्रतीक था, लेकिन अब यह महज एक औपचारिक कार्य बनकर रह गया है।

यूट्यूब चैनल “गेम चेंजर्स” पर चर्चा करते हुए सुभाष घई ने खुलकर बताया कि उन्होंने फिल्मों का निर्माण क्यों बंद कर दिया। उन्होंने कहा, “मुझे अब सिनेमा के प्रति वही पुराना जुनून दिखाई नहीं देता, न ही लोगों में और न ही मेरी टीम में। अब सब लोग इसे सिर्फ एक काम की तरह देख रहे हैं।”

“फिल्म निर्माण में घटती रचनात्मकता पर घई की चिंता”

अपना एक अनुभव साझा करते हुए घई ने बताया कि उन्होंने एक लेखक को एक आइडिया दिया और उसे कहानी बनाने के लिए कहा। लेखक ने उनसे वादा किया कि वह 15 दिनों में काम पूरा कर देगा, तीन दिनों में पहला मसौदा दे देगा, और साथ ही अपनी पूरी फीस पहले ही मांगी।

उन्होंने फिल्म उद्योग के बदलते रवैये और डेडलाइन-आधारित दृष्टिकोण को लेकर निराशा जताई। घई ने इस बात पर भी जोर दिया कि आजकल फिल्म निर्माण में सच्चे रचनात्मक सहयोग की कमी साफ दिखाई देती है। उन्होंने कहा कि जहां एक ओर केवल तकनीकी कौशल की खरीद हो रही है, वहीं दूसरी ओर वास्तविक कलात्मक आदान-प्रदान धीरे-धीरे खत्म हो रहा है।

“फिल्मी रचनात्मकता और स्टारडम पर घई की चिंता”

सुभाष घई ने कहा, “आजकल लोग कहते हैं, ‘आप ईमेल पर भेज दीजिए, वही काफी होगा।’ स्क्रिप्ट और डायलॉग तो अब व्हाट्सऐप पर ही तैयार हो रहे हैं।” उन्होंने रचनात्मक प्रक्रिया में आए बड़े बदलाव की ओर इशारा किया।

इसके साथ ही, घई ने यह भी कहा कि अब अभिनेता खुद को एक ब्रांड के तौर पर देखते हैं और उनका ध्यान कलात्मकता से हटकर वित्तीय फायदों पर केंद्रित हो गया है। उन्होंने माना कि इस मानसिकता के कारण हाल के वर्षों में असली सुपरस्टार बनाने में इंडस्ट्री असफल रही है।

“स्टारडम और बदलती प्राथमिकताओं पर घई की राय”

उन्होंने सलमान खान और शाहरुख खान जैसे 80 के दशक के दिग्गज अभिनेताओं के लंबे समय तक चले स्टारडम का जिक्र किया, जो उनकी उस समय की अलग सिनेमाई संस्कृति में पनपी प्रतिभा का नतीजा था। घई ने यह भी जोड़ा कि पिछले दशक में रणबीर कपूर ही एकमात्र ऐसे अभिनेता रहे हैं जो सच्चे स्टारडम तक पहुंच पाए हैं, जो कि उद्योग की बदलती प्राथमिकताओं को दर्शाता है।

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